' मधुमेह जागरूकता एवं परिवार कल्याण विषयों पर मीडिया वर्कशॉप का आयोजन ''
आज को दोपहर 12 बजे से नगरपालिका के सभाकक्ष में मधुमेह जागरूकता एवं परिवार कल्याण विषयों पर मीडिया वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप को जिला स्वास्थ्य अधिकारी परिवार कल्याण डॉ0 आर0के0 धुर्वे, आर0एम0ओ0 एवं वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉ0 ए0के0 पांडे, चिकित्सा अधिकारी डॉ0 आनंद मालवीय, डॉ0 रंजीत राठौर एवं जिला मीडिया अधिकारी श्रीमती श्रुति गौर तोमर द्वारा संबोधित किया गया। मधुमेह के संबंध में बताया गया कि मधुमेह एक धीमी मौत है, यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है। मधुमेह रोगीयों को आंखो में परेशानी , किडनी और लीवर की बीमारी, पैरों में तकलीफ होना आम है। आजकल छोटे बच्चों में भी जुबेनाइलडायबिटिज देखने में आ रही है। जब शरीर के पेंक्रियाज में इन्सुलिन का पहुंचना कम हो जाता है। तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ जाता है। इसे ही डायबिटिज कहते हैं। इंसुलिन एक हार्मोन है जो कि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को उर्जा में बदलने का होता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से उर्जा बनाने में कठिनाई होती है ऐसी स्थिति में ग्लूकोज का बढा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगो को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। पुरूषों में यह रोग अधिक होता है। टाईप 1 डायबिटिज वंशानुगत कारणों से एंव टाईप 2 डायबिटिज अनियमित जीवन शैली की वजह से होता है। मधुमेह के लक्षणों में ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब का आना, भूख अधिक लगना, भूख एकदम से कम हो जाना , आंखो की रौशनी कम होना, चोट या जख्म देर से भरना, हाथ पैरो पर खुजली वाले जख्म, चक्कर आना, वजन कम होना है। मधुमेह से बचाव हेतु जीवन शैली में बदलाव लायें , शारिरिक श्रम करें, पैदल चले, योग करें, कम कैलोरी वाला भोजन खायंे, भोजन में मीठे का इस्तेमाल न करें, सब्जियां ,ताजे फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पाद और ओमेगा थ्री ,वसा के स्त्रोंतो को अपने भोजन में शामिल करें। धूम्रपान और शराब का सेवन छोड दें, पर्याप्त नींद लें, तनाव से मुक्ति हेतु ध्यान लगायें या संगीत सुने। अपने ग्लूकोज स्तर को जांचे, भोजन से पहले यह 110 एम.जी. प्रतिशत एवं भोजन के बाद 140 एमजी प्रतिशत से ज्यादा है तो सतर्क हो जायें। शासकीय चिकित्सक से परामर्श ले एवं चिकित्सक के बताये अनुसार ही उपचार करायें।
परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों में पुरूषों के लिये निरोध, महिलाओं हेतु गर्भनिरोधक गोलियां माला-एन, आईयूसीडी (5से 10 वर्ष के लिये), अंतरा इंजेक्शन प्रत्येक तीन माह में एक बार, संेटोक्रोम छाया टेबलेट प्रसव के 6 सप्ताह के बाद से प्रारंभ प्रथम तीन माह तक सप्ताह में 2 बार एवं तीन माह बाद सप्ताह में एक बार लेना होता है। महिला एवं पुरूष नसबंदी परिवार कल्याण का एक महत्वपूर्ण स्थायी साधन है। पुरूष नसबंदी एक विश्वसनीय आसान एवं स्थाई छोटा सा ऑपरेशन है, जिसमें अस्पताल में रूकने की आवश्यकता नहीं होती इसमें दोनों ओर की शुक्रवाहिनी नली को काटकर दोनो सिरों को बांध दिया जाता है। यह नसबंदी बिना चिरा , बिना टांके के 10 से 20 मिनिट में पूरी की जाती है। शासन द्वारा पुरूष नसबंदी कराये जाने पर हितग्राही को रू 2000/- क्षतिपूर्ति राशि एवं प्रेरक को रू 300/- महिला नसबंदी कराये जाने पर हितग्राही को रू 1400/- क्षतिपूर्ति राशि एवं प्रेरक को रू 200/- पोस्ट पार्टम महिला नसबंदी (प्रसव के 7 दिवस के भीतर ) कराये जाने पर हितग्राही को रू 2200/- क्षतिपूर्ति राशि एवं प्रेरक को रू 300/- प्रदाय की जाती है। जिला चिकित्सालय बैतूल में प्रति शनिवार नसबंदी सेवा प्रदायगी दिवस के रूप में सेवायें प्रदान की जाती हैं तथा प्रति बुधवार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आमला एवं मुलताई में यह सुविधा उपलब्ध है। छोटा परिवार एक आदर्श परिवार होता है। एक या दो बच्चे होने पर सही ढंग से उनकी देखभाल हो सकती है । उचित शिक्षा एवं पोषण उपलब्ध कराया जा सकता है। कम बच्चे पैदा होने से मां का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। बढती हुई जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिये योग्य दंपत्तियों को परिवार सीमित रखना अत्यंत आवश्यक है।